आख़िर कौन सी मजबूरी है

क्या मजबूरी है कि डोनल्ड ट्रंप की गुंडागर्दी बर्दाश्त की जा रही है। जबकि यही भारत अमेरिका को आंख दिखाते हुए डाॅक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में परमाणु हथियार संपन्न हो गया था।

ऐसा नहीं कि अमेरिका को कोई आंख नहीं दिखा सकता, चीन के ऊपर डोनल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाई तो चीन ने अमेरिका के ऊपर टैरिफ लगा दी, डोनल्ड ट्रंप चुप हो गया। डोनल्ड ट्रंप एक गीदड़ धमकीबाज व्यक्ति है, उसके सामने खड़ा हो जाना चाहिए था।

भारत पहले भी अपने नागरिकों को विदेश से लेकर आया है। पहली बार 1990 के अगस्त में जब इराक़ ने कुवैत पर कब्ज़ा किया फिर  2006 के लेबनान युद्ध में “ऑपरेशन सुकून” के द्वारा और फिर 2011 में हुए लीबियाई युद्ध के दौरान भारत ने 1,10,000 नागरिकों को “ऑपरेशन सेफ़ होम कमिंग” के तहत बचाया और आखिर में यूक्रेन-रूस युद्ध में भारतीय छात्रों को निकाल कर लाया गया।

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